Madhu varma

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लेखनी कविता - अब जागो जीवन के प्रभात- जयशंकर प्रसाद

अब जागो जीवन के प्रभात- जयशंकर प्रसाद


अब जागो जीवन के प्रभात !
 वसुधा पर ओस बने बिखरे
 हिमकन आँसू जो क्षोभ भरे
 उषा बटोरती अरुण गात !
अब जागो जीवन के प्रभात !
 तम नयनों की ताराएँ सब-
 मुद रही किरण दल में हैं अब,
 चल रहा सुखद यह मलय वात !
अब जागो जीवन के प्रभात !
 रजनी की लाज समेटो तो,
 कलरव से उठ कर भेंटो तो ,
 अरुणाचल में चल रही बात,
अब जागो जीवन के प्रभात !

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